रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 12
कर्ण विकल हो खड़ा हुआ कह, 'हाय! किया यह क्या गुरुवर?
दिया शाप अत्यन्त निदारुण, लिया नहीं जीवन क्यों हर?
वर्षों की साधना, साथ ही प्राण नहीं क्यों लेते हैं?
अब किस सुख के लिए मुझे धरती पर जीने देते हैं?'
परशुराम ने कहा- 'कर्ण! यह शाप अटल है, सहन करो,
जो कुछ मैंने कहा, उसे सिर पर ले सादर वहन करो।
इस महेन्द्र-गिरि पर तुमने कुछ थोड़ा नहीं कमाया है,
मेरा संचित निखिल ज्ञान तूने मझसे ही पाया है।
'रहा नहीं ब्रह्मास्त्र एक, इससे क्या आता-जाता है?
एक शस्त्र-बल से न वीर, कोई सब दिन कहलाता है।
नयी कला, नूतन रचनाएँ, नयी सूझ नूतन साधन,
नये भाव, नूतन उमंग से , वीर बने रहते नूतन।
'तुम तो स्वयं दीप्त पौरुष हो, कवच और कुण्डल-धारी,
इनके रहते तुम्हें जीत पायेगा कौन सुभट भारी।
अच्छा लो वर भी कि विश्व में तुम महान् कहलाओगे,
भारत का इतिहास कीर्ति से और धवल कर जाओगे।
'अब जाओ, लो विदा वत्स, कुछ कड़ा करो अपने मन को,
रहने देते नहीं यहाँ पर हम अभिशप्त किसी जन को।
हाय छीनना पड़ा मुझी को, दिया हुआ अपना ही धन,
सोच-सोच यह बहुत विकल हो रहा, नहीं जानें क्यों मन?
'व्रत का, पर निर्वाह कभी ऐसे भी करना होता है।
इस कर से जो दिया उसे उस कर से हरना होता है।
अब जाओ तुम कर्ण! कृपा करके मुझको निःसंग करो।
देखो मत यों सजल दृष्टि से, व्रत मेरा मत भंग करो।
── ⋅ ⋅ ── ✩ ── ⋅ ⋅ ──
#rashmirathi
🔸 🔹 🔺 🔹 🔺 🔹 💠
ㅤㅤㅤㅤ
रश्मिरथी संपूर्ण अनुक्रमणिका💠
❤️ ek_khwaab.t.me ✔️
कर्ण विकल हो खड़ा हुआ कह, 'हाय! किया यह क्या गुरुवर?
दिया शाप अत्यन्त निदारुण, लिया नहीं जीवन क्यों हर?
वर्षों की साधना, साथ ही प्राण नहीं क्यों लेते हैं?
अब किस सुख के लिए मुझे धरती पर जीने देते हैं?'
परशुराम ने कहा- 'कर्ण! यह शाप अटल है, सहन करो,
जो कुछ मैंने कहा, उसे सिर पर ले सादर वहन करो।
इस महेन्द्र-गिरि पर तुमने कुछ थोड़ा नहीं कमाया है,
मेरा संचित निखिल ज्ञान तूने मझसे ही पाया है।
'रहा नहीं ब्रह्मास्त्र एक, इससे क्या आता-जाता है?
एक शस्त्र-बल से न वीर, कोई सब दिन कहलाता है।
नयी कला, नूतन रचनाएँ, नयी सूझ नूतन साधन,
नये भाव, नूतन उमंग से , वीर बने रहते नूतन।
'तुम तो स्वयं दीप्त पौरुष हो, कवच और कुण्डल-धारी,
इनके रहते तुम्हें जीत पायेगा कौन सुभट भारी।
अच्छा लो वर भी कि विश्व में तुम महान् कहलाओगे,
भारत का इतिहास कीर्ति से और धवल कर जाओगे।
'अब जाओ, लो विदा वत्स, कुछ कड़ा करो अपने मन को,
रहने देते नहीं यहाँ पर हम अभिशप्त किसी जन को।
हाय छीनना पड़ा मुझी को, दिया हुआ अपना ही धन,
सोच-सोच यह बहुत विकल हो रहा, नहीं जानें क्यों मन?
'व्रत का, पर निर्वाह कभी ऐसे भी करना होता है।
इस कर से जो दिया उसे उस कर से हरना होता है।
अब जाओ तुम कर्ण! कृपा करके मुझको निःसंग करो।
देखो मत यों सजल दृष्टि से, व्रत मेरा मत भंग करो।
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रश्मिरथी संपूर्ण अनुक्रमणिका
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रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 13
'आह, बुद्धि कहती कि ठीक था, जो कुछ किया, परन्तु हृदय,
मुझसे कर विद्रोह तुम्हारी मना रहा, जाने क्यों, जय?
अनायास गुण-शील तुम्हारे, मन में उगते आते हैं,
भीतर किसी अश्रु-गंगा में मुझे बोर नहलाते हैं।
जाओ, जाओ कर्ण! मुझे बिलकुल असंग हो जाने दो
बैठ किसी एकान्त कुंज में मन को स्वस्थ बनाने दो।
भय है, तुम्हें निराश देखकर छाती कहीं न फट जाये,
फिरा न लूँ अभिशाप, पिघलकर वाणी नहीं उलट जाये।'
इस प्रकार कह परशुराम ने फिरा लिया आनन अपना,
जहाँ मिला था, वहीं कर्ण का बिखर गया प्यारा सपना।
छूकर उनका चरण कर्ण ने अर्घ्य अश्रु का दान किया,
और उन्हें जी-भर निहार कर मंद-मंद प्रस्थान किया।
परशुधर के चरण की धूलि लेकर,
उन्हें, अपने हृदय की भक्ति देकर,
निराशा सेविकल, टूटा हुआ-सा,
किसी गिरि-श्रृंगा से छूटा हुआ-सा,
चला खोया हुआ-सा कर्ण मन में,ㅤ
कि जैसे चाँद चलता हो गगन में।
── ⋅ ⋅ ── ✩ ── ⋅ ⋅ ──
#rashmirathi
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रश्मिरथी संपूर्ण अनुक्रमणिका💠
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'आह, बुद्धि कहती कि ठीक था, जो कुछ किया, परन्तु हृदय,
मुझसे कर विद्रोह तुम्हारी मना रहा, जाने क्यों, जय?
अनायास गुण-शील तुम्हारे, मन में उगते आते हैं,
भीतर किसी अश्रु-गंगा में मुझे बोर नहलाते हैं।
जाओ, जाओ कर्ण! मुझे बिलकुल असंग हो जाने दो
बैठ किसी एकान्त कुंज में मन को स्वस्थ बनाने दो।
भय है, तुम्हें निराश देखकर छाती कहीं न फट जाये,
फिरा न लूँ अभिशाप, पिघलकर वाणी नहीं उलट जाये।'
इस प्रकार कह परशुराम ने फिरा लिया आनन अपना,
जहाँ मिला था, वहीं कर्ण का बिखर गया प्यारा सपना।
छूकर उनका चरण कर्ण ने अर्घ्य अश्रु का दान किया,
और उन्हें जी-भर निहार कर मंद-मंद प्रस्थान किया।
परशुधर के चरण की धूलि लेकर,
उन्हें, अपने हृदय की भक्ति देकर,
निराशा सेविकल, टूटा हुआ-सा,
किसी गिरि-श्रृंगा से छूटा हुआ-सा,
चला खोया हुआ-सा कर्ण मन में,ㅤ
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रश्मिरथी सर्ग 2 एक साथ पोस्ट कर दिया
तो आप लोगो का प्यार कम हो गया 👀,
सर्ग २ पढ़ो और रिएक्ट करो !!
आपका एक रिएक्शन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत बनता हैं
धन्यवाद
ㅤㅤㅤㅤ
रश्मिरथी संपूर्ण अनुक्रमणिका💠
React / Share & support us✨😌
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🙏8
जिससे सच्ची मोहब्बत की जाती है
उसकी इज्ज़त मोहब्बत से भी ज्यादा की जाती है
हम❤️तुम
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🥰6
Audio
रश्मिरथी संपूर्ण सर्ग 2 ✨
आवाज: मनोज शुक्ला
अपलोड @ek_khwaab टेलीग्राम
रश्मिरथी अनुक्रमणिका
ज्यादा से ज्यादा मित्रो को शेयर करे 💕
#rashmirathi #audio
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🤩6❤1❤🔥1👌1
मोहब्बत के हर रस्ते पर
दर्द ही दर्द मिलेगा,
.ㅤㅤㅤㅤ
सोच rhi हूँ 🤔उसी रास्ते पर
मेडिकल खोल लूँ बहुत मस्त चलेगा !!
😝
दर्द ही दर्द मिलेगा,
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सोच rhi हूँ 🤔उसी रास्ते पर
मेडिकल खोल लूँ बहुत मस्त चलेगा !!
😝
🤯5👏2
रश्मिरथी ko ab ek din me post kr diya jaye kya
Final Results
58%
Hn yrr kro khtm kro bawal🥴🤭
42%
Khabardar sochna bhi mt , itta hazam n ho payega😝😅
❤2
अगर खाली बैठे हो तो एक बात बताओ.,
Online को हिंदी में क्या बोलते हैं..?🤔🤔
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👀5
रण को पूर्णता: तैयार हू
माधव!
बस मन को संभाले रखना 🤟
माधव!
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❤🔥9
Shayari एक ख़्वाब | • EK KHWAAB ᥫ᭡ ☻️
रश्मिरथी ko ab ek din me post kr diya jaye kya
As per voting 😁
All part of rashmirathi will be posted here,
Get ready for that 🤟❤️🔥
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🎉7
कितने भी अच्छे
मैसेज कर लो…
कंजूस लोग जब मूड होगा
तभी रिप्लाई देंगे 🤨
मैसेज कर लो…
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🤯5🤨2
भगवान का दिया सबकुछ है,
पर रखा किधर है, पता नही..!☹️
पर रखा किधर है, पता नही..!☹️
🤣12
पोस्ट लाइक करने के लिए
गांव से मजदूर बुलाए हैं
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..
तुम लोगों पर से तो विश्वास
उठ गया मेरा 😜😜
गांव से मजदूर बुलाए हैं
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तुम लोगों पर से तो विश्वास
उठ गया मेरा 😜😜
🤩9❤1