थप्पड़ मारा है , खोद कर रह जाओ ।
बेईज्जती किया है , अपमान किया है , बस एक सिद्धांत पर काम करो , उस व्यक्ति से 100 गुना ज्यादा सफल हो जाओ ।
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मंज़िल न दे चिराग न दे हौसला तो दे,
तिनके का ही सही तू मगर आसरा तो दे
मैंने ये कब कहा के मेरे हक़ में हो जवाब,
लेकिन ख़ामोश क्यूँ है तू कोई फ़ैसला तो दे
बरसों मैं तेरे नाम पे खाता रहा फ़रेब,
मेरे ख़ुदा कहाँ है तू अपना पता तो दे
बेशक मेरे नसीब पे रख अपना इख़्तियार,
लेकिन मेरे नसीब में क्या है बता तो दे.....😒😒
तिनके का ही सही तू मगर आसरा तो दे
मैंने ये कब कहा के मेरे हक़ में हो जवाब,
लेकिन ख़ामोश क्यूँ है तू कोई फ़ैसला तो दे
बरसों मैं तेरे नाम पे खाता रहा फ़रेब,
मेरे ख़ुदा कहाँ है तू अपना पता तो दे
बेशक मेरे नसीब पे रख अपना इख़्तियार,
लेकिन मेरे नसीब में क्या है बता तो दे.....😒😒
😢5
कल से (१७/०४/२०२३) रामधारी सिंह दिनकर कृत - रश्मिरथी..... की पीडीएफ एवम टेक्स्ट और
ऑडियो (मनोज शुक्ला)
की पोस्ट इस चैनल पर आएगी
#rashmirathi
1 सप्ताह तक लगातार पोस्ट किया जाएगा,
उसके बाद और भी प्रसिद्ध साहित्य को यह पर पोस्ट किया जाएगा,
और भी लोगो तक यह चैनल पहुंचे इसलिए कुछ इस चैनल में कुछ प्रचार प्रसार किया जाएगा
अपना सहयोग दे और धैर्य बनाए रखे,
चैनल न छोड़े
पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया कमेंट्स जरूर करें
धन्यवाद
Index👉
@Ek_khwaab अधूरा सा 🫶🥹
ऑडियो (मनोज शुक्ला)
की पोस्ट इस चैनल पर आएगी
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1 सप्ताह तक लगातार पोस्ट किया जाएगा,
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खालीपन....... आज फील हुआ सबकुछ होते हुए भी कुछ ना होना 🥺🥺
💔10😭1
प्रिय पाठकों/लेखक,
इस चैंनल पर संग्रहित सामग्री ( शायरी/गज़ल/कविता/कहानी/काव्य संग्रह) को गूगल एवं अन्य प्लेटफार्म से कॉपी पेस्ट किया गया है, जिसका उद्देश्य सिर्फ लोगों का ज्ञान वर्धन एवं पाठको की अपील पर पोस्ट की गई है, हमारा उद्देश्य आपकी किसी भी नीतियों और नियमों का उलंघन करना नही है ।
आप की सामग्री यहां पर पोस्ट होने से आपको कोई आपत्ति है तो आप आपने सरकारी/कॉपीराइट दस्तावेजों के साथ
आपकी सामग्री को 3 – 4 दिन में चैनल से हटा दिया जाएगा।
धन्यवाद
@Ek_khwaab
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Shayari एक ख़्वाब | • EK KHWAAB ᥫ᭡ ☻️ pinned «📌 आवश्यक सूचना 👥 प्रिय पाठकों/लेखक,🔻 इस चैंनल पर संग्रहित सामग्री ( शायरी/गज़ल/कविता/कहानी/काव्य संग्रह) को गूगल एवं अन्य प्लेटफार्म से कॉपी पेस्ट किया गया है, जिसका उद्देश्य सिर्फ लोगों का ज्ञान वर्धन एवं पाठको की अपील पर पोस्ट की गई है, हमारा उद्देश्य…»
रश्मिरथी अनुक्रमणिका
➥ कथावस्तु
➥ प्रथम सर्ग
➢ रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 1
➢रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 2
➢ रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 3
➢ रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 4
➢ रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 5
➢ रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 6
➢ रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 7
: ऑडियो 1
➥ द्वितीय सर्ग
➢ रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 1
➢ रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 2
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➢ रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 4
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➢ रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 6
➢ रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 7
➢ रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 8
➢ रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 9
➢ रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 10
➢ रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 11
➢ रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 12
➢ रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 13
: ऑडियो 2
➥तृतीय सर्ग
➢ रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 1
➢ रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 2
➢ रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 3
➢ रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 4
➢ रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 5
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➥चतुर्थ सर्ग
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➥पंचम सर्ग
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➥ षष्ठ सर्ग
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रश्मिरथी _
कथावस्तु
रश्मिरथी का अर्थ होता है वह व्यक्ति, जिसका रथ रश्मि अर्थात सूर्य की किरणों का हो। इस काव्य में रश्मिरथी नाम कर्ण का है क्योंकि उसका चरित्र सूर्य के समान प्रकाशमान है
कर्ण महाभारत महाकाव्य का अत्यन्त यशस्वी पात्र है। उसका जन्म पाण्डवों की माता कुन्ती के गर्भ से उस समय हुआ जब कुन्ती अविवाहिता थीं, अतएव, कुन्ती ने लोकलज्जा से बचने के लिए, अपने नवजात शिशु को एक मंजूषा में बन्द करके नदी में बहा दिया। वह मंजूषा अधिरथ नाम के सुत को मिली। अधिरथ के कोई सन्तान नहीं थी। इसलिए, उन्होंने इस बच्चे को अपना पुत्र मान लिया। उनकी धर्मपत्नी का नाम राधा था। राधा से पालित होने के कारण ही कर्ण का एक नाम राधेय भी है।
कौरव-पाण्डव का वंश परिचय यह है कि दोनों महाराज शान्तनु के कुल में उत्पन्न हुए। शान्तनु से कई पीढ़ी ऊपर महाराज कुरु हुए थे। इसलिए, कौरव-पाण्डव दोनों कुरुवंशी कहलाते हैं। शान्तनु का विवाह गंगाजी से हुआ था, जिनसे कुमार देवव्रत उत्पन्न हुए। यही देवव्रत भीष्म कहलाये, क्योंकि चढ़ती जवानी में ही इन्होंने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की भीष्म अथवा भयानक प्रतिज्ञा की थी। महाराज शान्तनु ने निषाद-कन्या सत्यवती से भी विवाह किया था, जिससे उन्हें चित्रांगद और विचित्रवीर्य दो पुत्र हुए। चित्रांगद कुमारावस्था में ही एक युद्ध में मारे गये। विचित्रवीर्य के अम्बिका और अम्बालिका नाम की दो पत्नियां थीं, किन्तु, क्षय रोग हो जाने के कारण विचित्रवीर्य भी निःसंतान ही मरे।
.
ऐसी अवस्था में वंश चलाने के लिए सत्यवती ने व्यासजी को आमन्त्रित किया। व्यासजी ने नियोग-पद्घति से विचित्रवीर्य की दोनों विधवा पत्नियों से पुत्र उत्पन्न किये। अम्बिका से धृतराष्ट्र और अम्बालिका से पाण्डु जन्मे। मातृ-दोष से धृतराष्ट्र जन्म से ही अन्धे और पाण्डु पीलिया के रोगी थे। अतएव, अम्बिका की प्रेरणा से व्यासजी ने उसकी दासी से तीसरा पुत्र उत्पन्न किया जिसका नाम विदुर हुआ।
राजा धृतराष्ट्र के सौ पुत्र एक ही पत्नी महारानी गन्धारी से हुए थे। महाराज पाण्डु के दो पत्नियां थीं, एक कुन्ती, दूसरी माद्री। परन्तु, ऋषि से मिले शाप के कारण वे स्त्री-समागम से विरत थे। अतएव, कुन्ती ने अपने पति की आज्ञा से तीन पुत्र तीन देवताओं से प्राप्त किये। जैसे कुमारावस्था में कुन्ती ने सूर्य-समागम से कर्ण को उत्पन्न किया था, उसी प्रकार; विवाह होने पर उसने धर्मराज से युधिष्ठिर, पवनदेव से भीम और इन्द्र से अर्जुन को उत्पन्न किया। माद्री के एक ही गर्भ से दो पुत्र हुए, एक नकुल, दूसरे सहदेव- ये दोनों भाई भी महाराज पाण्डु के अंश नहीं, दो अश्विनीकुमारों के अंश से थे। पाण्डु के मरने पर माद्री सती हो गयीं और पाँचों पुत्रों के पालन का भार कुन्ती पर पड़ा। माद्री महाराज शल्य की बहन थीं।
#rashmirathi
#Hindi_KavyaKhand
रश्मिरथी संपूर्ण🔽
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कथावस्तु
रश्मिरथी का अर्थ होता है वह व्यक्ति, जिसका रथ रश्मि अर्थात सूर्य की किरणों का हो। इस काव्य में रश्मिरथी नाम कर्ण का है क्योंकि उसका चरित्र सूर्य के समान प्रकाशमान है
कर्ण महाभारत महाकाव्य का अत्यन्त यशस्वी पात्र है। उसका जन्म पाण्डवों की माता कुन्ती के गर्भ से उस समय हुआ जब कुन्ती अविवाहिता थीं, अतएव, कुन्ती ने लोकलज्जा से बचने के लिए, अपने नवजात शिशु को एक मंजूषा में बन्द करके नदी में बहा दिया। वह मंजूषा अधिरथ नाम के सुत को मिली। अधिरथ के कोई सन्तान नहीं थी। इसलिए, उन्होंने इस बच्चे को अपना पुत्र मान लिया। उनकी धर्मपत्नी का नाम राधा था। राधा से पालित होने के कारण ही कर्ण का एक नाम राधेय भी है।
कौरव-पाण्डव का वंश परिचय यह है कि दोनों महाराज शान्तनु के कुल में उत्पन्न हुए। शान्तनु से कई पीढ़ी ऊपर महाराज कुरु हुए थे। इसलिए, कौरव-पाण्डव दोनों कुरुवंशी कहलाते हैं। शान्तनु का विवाह गंगाजी से हुआ था, जिनसे कुमार देवव्रत उत्पन्न हुए। यही देवव्रत भीष्म कहलाये, क्योंकि चढ़ती जवानी में ही इन्होंने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की भीष्म अथवा भयानक प्रतिज्ञा की थी। महाराज शान्तनु ने निषाद-कन्या सत्यवती से भी विवाह किया था, जिससे उन्हें चित्रांगद और विचित्रवीर्य दो पुत्र हुए। चित्रांगद कुमारावस्था में ही एक युद्ध में मारे गये। विचित्रवीर्य के अम्बिका और अम्बालिका नाम की दो पत्नियां थीं, किन्तु, क्षय रोग हो जाने के कारण विचित्रवीर्य भी निःसंतान ही मरे।
.
ऐसी अवस्था में वंश चलाने के लिए सत्यवती ने व्यासजी को आमन्त्रित किया। व्यासजी ने नियोग-पद्घति से विचित्रवीर्य की दोनों विधवा पत्नियों से पुत्र उत्पन्न किये। अम्बिका से धृतराष्ट्र और अम्बालिका से पाण्डु जन्मे। मातृ-दोष से धृतराष्ट्र जन्म से ही अन्धे और पाण्डु पीलिया के रोगी थे। अतएव, अम्बिका की प्रेरणा से व्यासजी ने उसकी दासी से तीसरा पुत्र उत्पन्न किया जिसका नाम विदुर हुआ।
राजा धृतराष्ट्र के सौ पुत्र एक ही पत्नी महारानी गन्धारी से हुए थे। महाराज पाण्डु के दो पत्नियां थीं, एक कुन्ती, दूसरी माद्री। परन्तु, ऋषि से मिले शाप के कारण वे स्त्री-समागम से विरत थे। अतएव, कुन्ती ने अपने पति की आज्ञा से तीन पुत्र तीन देवताओं से प्राप्त किये। जैसे कुमारावस्था में कुन्ती ने सूर्य-समागम से कर्ण को उत्पन्न किया था, उसी प्रकार; विवाह होने पर उसने धर्मराज से युधिष्ठिर, पवनदेव से भीम और इन्द्र से अर्जुन को उत्पन्न किया। माद्री के एक ही गर्भ से दो पुत्र हुए, एक नकुल, दूसरे सहदेव- ये दोनों भाई भी महाराज पाण्डु के अंश नहीं, दो अश्विनीकुमारों के अंश से थे। पाण्डु के मरने पर माद्री सती हो गयीं और पाँचों पुत्रों के पालन का भार कुन्ती पर पड़ा। माद्री महाराज शल्य की बहन थीं।
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रश्मिरथी संपूर्ण
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रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 1🔸
'जय हो' जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को,
जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को।
किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल,
सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल।
🔹
ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,
दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।
क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग,
सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।
🔸
तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के,
पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के।
हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक,
वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक।
🔸
जिसके पिता सूर्य थे, माता कुन्ती सती कुमारी,
उसका पलना हुआ धार पर बहती हुई पिटारी।
सूत-वंश में पला, चखा भी नहीं जननि का क्षीर,
निकला कर्ण सभी युवकों में तब भी अद्भुत वीर।
ㅤㅤㅤ
तन से समरशूर, मन से भावुक, स्वभाव से दानी,
जाति-गोत्र का नहीं, शील का, पौरुष का अभिमानी।
ज्ञान-ध्यान, शस्त्रास्त्र, शास्त्र का कर सम्यक् अभ्यास,
अपने गुण का किया कर्ण ने आप स्वयं सुविकास।
🔸 🔹 🔺 🔹 🔺 🔹 🔸
── ⋅ ⋅ ── ✩ ── ⋅ ⋅ ──
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रश्मिरथी संपूर्ण अनुक्रमणिका
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'जय हो' जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को,
जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को।
किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल,
सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल।
ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,
दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।
क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग,
सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।
तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के,
पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के।
हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक,
वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक।
जिसके पिता सूर्य थे, माता कुन्ती सती कुमारी,
उसका पलना हुआ धार पर बहती हुई पिटारी।
सूत-वंश में पला, चखा भी नहीं जननि का क्षीर,
निकला कर्ण सभी युवकों में तब भी अद्भुत वीर।
ㅤㅤㅤ
तन से समरशूर, मन से भावुक, स्वभाव से दानी,
जाति-गोत्र का नहीं, शील का, पौरुष का अभिमानी।
ज्ञान-ध्यान, शस्त्रास्त्र, शास्त्र का कर सम्यक् अभ्यास,
अपने गुण का किया कर्ण ने आप स्वयं सुविकास।
── ⋅ ⋅ ── ✩ ── ⋅ ⋅ ──
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रश्मिरथी संपूर्ण अनुक्रमणिका
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तुम तसल्ली ना दो ,सिर्फ बैठे रहो
कुछ वक्त मेरे मरने का टल जाएगा ..🕥😥
कुछ वक्त मेरे मरने का टल जाएगा ..🕥😥
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