Shayari एक ख़्वाब | • EK KHWAAB ᥫ᭡ ☻️
तुम तसल्ली ना दो ,सिर्फ बैठे रहो कुछ वक्त मेरे मरने का टल जाएगा ..🕥😥
मौत अंत है नही तो मौत से क्यू डरे ❤️🔥
❤🔥8
रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 2🔹 🔸
अलग नगर के कोलाहल से, अलग पुरी-पुरजन से,
कठिन साधना में उद्योगी लगा हुआ तन-मन से।
निज समाधि में निरत, सदा निज कर्मठता में चूर,
वन्यकुसुम-सा खिला कर्ण, जग की आँखों से दूर।
नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में,
अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में।
समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल,
गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल।
जलद-पटल में छिपा, किन्तु रवि कब तक रह सकता है?
युग की अवहेलना शूरमा कब तक सह सकता है?
पाकर समय एक दिन आखिर उठी जवानी जाग,
फूट पड़ी सबके समक्ष पौरुष की पहली आग।
रंग-भूमि में अर्जुन था जब समाँ अनोखा बाँधे,
बढ़ा भीड़-भीतर से सहसा कर्ण शरासन साधे।
कहता हुआ, 'तालियों से क्या रहा गर्व में फूल?
अर्जुन! तेरा सुयश अभी क्षण में होता है धूल।'
'तूने जो-जो किया, उसे मैं भी दिखला सकता हूँ,
चाहे तो कुछ नयी कलाएँ भी सिखला सकता हूँ।
आँख खोल कर देख, कर्ण के हाथों का व्यापार,
फूले सस्ता सुयश प्राप्त कर, उस नर को धिक्कार।'
इस प्रकार कह लगा दिखाने कर्ण कलाएँ रण की,
सभा स्तब्ध रह गयी, गयी रह आँख टँगी जन-जन की।ㅤㅤㅤ
मन्त्र-मुग्ध-सा मौन चतुर्दिक् जन का पारावार,
गूँज रही थी मात्र कर्ण की धन्वा की टंकार।
── ⋅ ⋅ ── ✩ ── ⋅ ⋅ ──
#rashmirathi
🔸 🔹 🔺 🔹 🔺 🔹 💠
रश्मिरथी संपूर्ण अनुक्रमणिका💠
❤️ ek_khwaab.t.me ✔️
अलग नगर के कोलाहल से, अलग पुरी-पुरजन से,
कठिन साधना में उद्योगी लगा हुआ तन-मन से।
निज समाधि में निरत, सदा निज कर्मठता में चूर,
वन्यकुसुम-सा खिला कर्ण, जग की आँखों से दूर।
नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में,
अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में।
समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल,
गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल।
जलद-पटल में छिपा, किन्तु रवि कब तक रह सकता है?
युग की अवहेलना शूरमा कब तक सह सकता है?
पाकर समय एक दिन आखिर उठी जवानी जाग,
फूट पड़ी सबके समक्ष पौरुष की पहली आग।
रंग-भूमि में अर्जुन था जब समाँ अनोखा बाँधे,
बढ़ा भीड़-भीतर से सहसा कर्ण शरासन साधे।
कहता हुआ, 'तालियों से क्या रहा गर्व में फूल?
अर्जुन! तेरा सुयश अभी क्षण में होता है धूल।'
'तूने जो-जो किया, उसे मैं भी दिखला सकता हूँ,
चाहे तो कुछ नयी कलाएँ भी सिखला सकता हूँ।
आँख खोल कर देख, कर्ण के हाथों का व्यापार,
फूले सस्ता सुयश प्राप्त कर, उस नर को धिक्कार।'
इस प्रकार कह लगा दिखाने कर्ण कलाएँ रण की,
सभा स्तब्ध रह गयी, गयी रह आँख टँगी जन-जन की।ㅤㅤㅤ
मन्त्र-मुग्ध-सा मौन चतुर्दिक् जन का पारावार,
गूँज रही थी मात्र कर्ण की धन्वा की टंकार।
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❤🔥5⚡1🕊1
जब कोई कहता है कि आदत डाल लो....
तो मै उन्हे कहना चाहूंगा की जब माली एक पौधे की सिंचाई करता है तो उसका पनपना अलग और अच्छा होता है,,
और उसी पौधे की सिंचाई कोई दूसरा व्यक्ति करने लगे तो वो पौधा कभी पनप ही नही पाएगा ऐसा नही की मर जाएगा चलेगा लेकिन उतना सही से नही,,
इसलिए प्यार और इंसान भी एक पौधे की तरह ही है उसको सही माली चाहिए सिंचाई करने के लिए....
तो मै उन्हे कहना चाहूंगा की जब माली एक पौधे की सिंचाई करता है तो उसका पनपना अलग और अच्छा होता है,,
और उसी पौधे की सिंचाई कोई दूसरा व्यक्ति करने लगे तो वो पौधा कभी पनप ही नही पाएगा ऐसा नही की मर जाएगा चलेगा लेकिन उतना सही से नही,,
इसलिए प्यार और इंसान भी एक पौधे की तरह ही है उसको सही माली चाहिए सिंचाई करने के लिए....
😢5
5 रु का नोट फट गया है
टेप भी 5 रु की
फेवीक्विक भी 5 रु की केवल एक्सपर्ट ही राए दे 😂
टेप भी 5 रु की
फेवीक्विक भी 5 रु की केवल एक्सपर्ट ही राए दे 😂
😈1
😢7🤣2🥴1
आप एक अंधेरे कमरे में हैं और आपके पास मोमबत्ती, दिया और एक लालटेन हैं तो सबसे पहले आप क्या जलाएंगे ? 🤔🤔🙆
👀2
── ⋅ ⋅ ── ✩ ── ⋅ ⋅ ──
रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 3
फिरा कर्ण, त्यों 'साधु-साधु' कह उठे सकल नर-नारी,
राजवंश के नेताओं पर पड़ी विपद् अति भारी।
द्रोण, भीष्म, अर्जुन, सब फीके, सब हो रहे उदास,
एक सुयोधन बढ़ा, बोलते हुए, 'वीर! शाबाश !'
द्वन्द्व-युद्ध के लिए पार्थ को फिर उसने ललकारा,
अर्जुन को चुप ही रहने का गुरु ने किया इशारा।
कृपाचार्य ने कहा- 'सुनो हे वीर युवक अनजान'
भरत-वंश-अवतंस पाण्डु की अर्जुन है संतान।
'क्षत्रिय है, यह राजपुत्र है, यों ही नहीं लड़ेगा,
जिस-तिस से हाथापाई में कैसे कूद पड़ेगा?
अर्जुन से लड़ना हो तो मत गहो सभा में मौन,
नाम-धाम कुछ कहो, बताओ कि तुम जाति हो कौन?'
'जाति! हाय री जाति !' कर्ण का हृदय क्षोभ से डोला,
कुपित सूर्य की ओर देख वह वीर क्रोध से बोला
'जाति-जाति रटते, जिनकी पूँजी केवल पाषंड,
मैं क्या जानूँ जाति ? जाति हैं ये मेरे भुजदंड।
'ऊपर सिर पर कनक-छत्र, भीतर काले-के-काले,
शरमाते हैं नहीं जगत् में जाति पूछनेवाले।
सूत्रपुत्र हूँ मैं, लेकिन थे पिता पार्थ के कौन?
साहस हो तो कहो, ग्लानि से रह जाओ मत मौन।
'मस्तक ऊँचा किये, जाति का नाम लिये चलते हो,
पर, अधर्ममय शोषण के बल से सुख में पलते हो।
अधम जातियों से थर-थर काँपते तुम्हारे प्राण,
छल से माँग लिया करते हो अंगूठे का दान।
── ⋅ ⋅ ── ✩ ── ⋅ ⋅ ──
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रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 3
फिरा कर्ण, त्यों 'साधु-साधु' कह उठे सकल नर-नारी,
राजवंश के नेताओं पर पड़ी विपद् अति भारी।
द्रोण, भीष्म, अर्जुन, सब फीके, सब हो रहे उदास,
एक सुयोधन बढ़ा, बोलते हुए, 'वीर! शाबाश !'
द्वन्द्व-युद्ध के लिए पार्थ को फिर उसने ललकारा,
अर्जुन को चुप ही रहने का गुरु ने किया इशारा।
कृपाचार्य ने कहा- 'सुनो हे वीर युवक अनजान'
भरत-वंश-अवतंस पाण्डु की अर्जुन है संतान।
'क्षत्रिय है, यह राजपुत्र है, यों ही नहीं लड़ेगा,
जिस-तिस से हाथापाई में कैसे कूद पड़ेगा?
अर्जुन से लड़ना हो तो मत गहो सभा में मौन,
नाम-धाम कुछ कहो, बताओ कि तुम जाति हो कौन?'
'जाति! हाय री जाति !' कर्ण का हृदय क्षोभ से डोला,
कुपित सूर्य की ओर देख वह वीर क्रोध से बोला
'जाति-जाति रटते, जिनकी पूँजी केवल पाषंड,
मैं क्या जानूँ जाति ? जाति हैं ये मेरे भुजदंड।
'ऊपर सिर पर कनक-छत्र, भीतर काले-के-काले,
शरमाते हैं नहीं जगत् में जाति पूछनेवाले।
सूत्रपुत्र हूँ मैं, लेकिन थे पिता पार्थ के कौन?
साहस हो तो कहो, ग्लानि से रह जाओ मत मौन।
'मस्तक ऊँचा किये, जाति का नाम लिये चलते हो,
पर, अधर्ममय शोषण के बल से सुख में पलते हो।
अधम जातियों से थर-थर काँपते तुम्हारे प्राण,
छल से माँग लिया करते हो अंगूठे का दान।
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❤🔥3❤1👌1
मैंने अभी अभी 20 रुपए का गन्ने का रस पिया
मेरी जगह कोई और होता तो पोस्ट डाल के ढिंढोरा पीटता
😏😃😆
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😏😃😆
👏6
दुनिया का सबसे सुंदर संगीत
RCB
RCB
RCB
RCB
वाला मैदान का शोर
RCB
RCB
RCB
RCB
वाला मैदान का शोर
❤2
अगर आप दिल से हमारे न होते
तो नज़रों से इतने इशारे न होते
नहीं प्यार होता जो उनको किसीसे
तो आँचल में ये चाँद-तारे न होते
बहुत शोर था उनकी दरियादिली का
हमें देखकर यों किनारे न होते
कहाँ से ग़ज़ल प्यार की यह उतरती
जो हम उन निगाहों के मारे न होते
गुलाब! आप खिलते जो राहों में उनकी
तो ऐसे कभी बेसहारे न होते
~ गुलाब खंडेलवाल
#Gazal
For more join @ek_khwaab🥺
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तो नज़रों से इतने इशारे न होते
नहीं प्यार होता जो उनको किसीसे
तो आँचल में ये चाँद-तारे न होते
बहुत शोर था उनकी दरियादिली का
हमें देखकर यों किनारे न होते
कहाँ से ग़ज़ल प्यार की यह उतरती
जो हम उन निगाहों के मारे न होते
गुलाब! आप खिलते जो राहों में उनकी
तो ऐसे कभी बेसहारे न होते
~ गुलाब खंडेलवाल
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Anonymous Quiz
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Gazb ye hai ki ham to khubsurat hai nhi
Kamal ye hai ki ek shaksh mujh pr Jaan deta hai....!
Kamal ye hai ki ek shaksh mujh pr Jaan deta hai....!
👀3🥰1
Jaha kahi bhi ho aa jaao fan demand kr rhi hai @Bebak_A_S
#❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗ Prayagraj me internet nhi chal rha h🙂 bhaar bhaar puch kr mera dimag ka dahi n kro🙂
Jimdagi waise bhi bahut tension h 🥲
#❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗️❗ Prayagraj me internet nhi chal rha h🙂 bhaar bhaar puch kr mera dimag ka dahi n kro🙂
Jimdagi waise bhi bahut tension h 🥲
🤯4
are you okay?
yesyes yes yes yes yes
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yes yes yes yes yes yes
@ek_khwaab 🙂
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@ek_khwaab 🙂
💔4🤯3🥴2